8/2/09

जीवन गतिशील है

लेखक: शम्भु चौधरी


LIfe of Power

जीवन गतिशील है। हम और आप हमेशा इस बात को लेकर चिंतित तो रहते हैं कि कल क्या होगा। पर कल के ऊपर निर्भर नहीं रहना चाहते, हमेशा भविष्य को सुरक्षित किये जाने का प्रयत्न आज ही करते हैं। जिसने आज को सुरक्षित बना लिया उसका कल स्वतः ही सुरक्षित हो जायेगा और जो खुद को सुरक्षित महसूस करने लगेगा उसे कल की चिंता भी नहीं रहती कि कल कैसा होगा।
वहीं कुछ स्वतंत्र प्रकृति के लोग भी होते हैं जिसे न तो आज की चिंता रहती न ही कल की चिंता करते हैं जो मिला खा लिया नहीं मिला तो कोई बात नहीं। सर्वप्रथम हमें यह तय करना होगा कि हमें कैसे जीना है?

जब हम किसी उत्सव की तैयारी करते हैं या घर में कोई बच्चा जन्म लेता है तो इस अवसर पर एक नई शक्ति का संचार हमें हमारे अन्दर देखने को मिलता है। वहीं जब घर में किसी की मृत्यु हो जाती है या किसी ऐसे समारोह में जहाँ आपको मान नहीं मिलता तो आपके अन्दर की ऊर्जा विपरीत कार्य करने लगती है जो आपको कमजोर कर शिथिल बना देती है। जबकि श्री अर्जुन के साथ इनमें से कोई भी बात लागू नहीं होती। वे जो बात कर रहे थे न तो उसे कायरता की श्रेणी में रखी जा सकती है और ना ही उसे हीनभावना की श्रेणी में ही। न ही उसे हम किसी भविष्य की चिंता कह सकते हैं ना ही उसे किसी उत्सव या शोक का माहौल कह सकतें है। युद्धक्षेत्र में एक योद्धा के इस व्यवहार को ऊर्जा से परिपूर्ण रहते हुए भी जब किसी ऐसे वातावरण का सामना करना पड़े तो इसे राजनीति भी नहीं कह सकते। तो क्या हम यह मान लें कि इस समय ऊर्जा ने सही कार्य करना बन्दकर श्री अर्जुन को भ्रमित करने का कार्य प्रारंभ कर दिया था। यदि इसे ही सही मान लें तो पुनः श्री कृष्ण ने ऐसा क्या कह दिया कि श्री अर्जुन की ऊर्जा पुनः सही दिशा में कार्य करने लगी जो कुछ पल पुर्व नहीं कार्य कर रही थी। हम "जीवन उर्जा" के इस भाग में इसी रहस्य को जानने का यहाँ प्रयत्न करेंगे। क्रमशः -शम्भु चौधरी

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